मैं तो भुला नहीं पाया

 


मैं तो भुला नहीं पाया,

तुम कैसे भूल सकते हो ?

जो बंधन जुड़ा है हृदय से,

वो कैसे तोड़ सकते हो ?

क्या सूख गए वो आँसू ?

जो रोके कभी न रुकते थे ।

जो मन में बसाई थी मूरत,

वो कैसे तोड़ सकते हो ?

मैं तो भुला नहीं पाया,

तुम कैसे भूल सकते हो?

कवि - राजू रंजन


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